

गाँव के बाहर मेरा बंगलोव था. इसी बंगलोव मैं मेरी दिस्पेन्सरी भी थी. गाँव मैं मेरे साल भर गुज़ारने के बाद की बात होगी ये. इस गाँव मैं लड़कियाँ और औरतें बड़ी सुंदर सुंदर थी. एईसी ही एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की थी गाँव के मास्टेरजी की. नाम भी उसका था गोरी. सच कहूँ तो मेरा भी दिल उसपर आ गया था पैर होनी को कुच्छ और मंज़ूर था. गाँव के ठाकुर के बेटे का भी दिल उसपर आया और उनकी शादी हो गई. पैर जोड़ी बड़ी बेमेल थी. कहाँ गोरी, और कहाँ राजन.
राजन बड़ा सूखा सा मारियल सा लड़का था. मुझे तो उसके मर्द होने पैर भी शक़ था. और ये बात सच निकली क़रीब क़रीब. उनकी शादी के साल भर बाद एक दिन ठाकुरैईं मेरे घर पैर आई. उसने मुझे कहा की उसे बड़ी चिंता हो रही है की बहू को कुच्छ बक्चा वागेरह नहीं हो रहा. उसने मुझसे पूच्हा की क्या प्रोबलें हो सकता है लड़का बहू उसे कुच्छ बताते नहीं हैं और उसे शक है की बहू कहीं बाँझ तो नहीं.

मैने उसे धधास दिया और कहा की वो लड़का -बहू को मेरे पासस भेज दे तो मैं देख लूंगा की क्या प्रोबलें है उसने मुझसे आग्रह किया मैं ये बात गुप्त रखून, घर की इज़्ज़त का मामला है फिर एक रात क़रीब शाम को वे दोनो आए. रज़्ज़ान और उसकी बहू. देखते ही लगता था की बेचारी गोरी के साथ बड़ा अनायाय हुआ है कहाँ वो लंबी, लचीली एकदम गोरी लड़की. भरे पूरे बदन की बाला की ख़ूबसोरत लड़की और कहाँ वो राजन, कला कालूटा मारियल सा. मुझे राजन की किस्मत पैर बड़ा रंज हुआ. वे धीरे धीरे अक्सर इलाज कारवाने मेरे क्लिनिक पैर आने लगे और साथ साथ मुझसे खुलते गाये राजन बड़ा नरम दिल इंसान था. अपनी बाला की ख़ूबसूरत बीवी को ज़रा सा भी दुख देना उसे मंज़ूर ना था.

उसने दबी ज़ुबान से स्वीकार किया एक दिन की अभी तक वो अपनी बीवी को छोड़ नहीं पाया है मैं समझ गया की क्यों बच्चा नहीं हो रहा है जब गोरी अभी तक वीर्गिन ही है तो, सहसा मेरे मान मैं एक ख़याल आया और मुझे मेरी दबी हुई हसरत पूरी करने का एक हसीं मौक़ा दिखा. गोरी का कौमार्या लूटने का. दरअसल जब जब राजन गोरी के सुंदर नंगे जिस्म को देखता था अपने उपर काबू नहीं रख पता था और इस'से पहले की गोरी सेक्श के लिए तैयार हो राजन उसपर टूट पड़ता था.

नतीजा ये की लंड घुसाने की कोशिश करता था तो गोरी दर्द से चिल्लाने लगती थी और गोरी को ये सब बड़ा तकलीफ़ वाला मालूम होता था. उसे चिल्लाते देख बेचारा राजन सब्र कर लेता था फिर. दूसरे राजन इतना कुरुप सा था की उसे देख कर गोरी बुझ सी जाती थी. सारी समयसा जानने के बाद मैने अपना जाल बिच्छाया. मैने एक दिन ठाकुरैईं और राजन को बुलाया. उनहइन बताया की ख़राबी उनके बेटे मैं नहीं बल्कि बहू मैं है और उसका इलाज करना होगा. छ्होटा सा ओपेरातिओं. बस बहू ठीक हो जाएगी. बुधिया तो खुस हो गयी पैर बेटे ने बाद मैं पूच्हा,

डॉकटोर साहब. आख़िर क्या ओपेरातिओं करना होगा?
हाँ राजन तुम्छैइन बताना ज़रूरी है नहीं तो बाद मैं तुम कुच्छ और सम'झोगे.
हाँ हाँ बोलीए ना डॉकटोर साहब. देखो राजन. तुम्हारी बीवी का गुप्ताँग तोड़ा सा खोलना होगा ओपेरातिओं करके. तभी तुम उस'से संभोग कर पाऊगे और वो माँ बन सकेगी. क्या? पैर क्या ये ओपेरातिओं आप करेंगे. मतलब मेरी बीवी को आपके सामने नंगा लेतना पड़ेगा? हाँ ये मजबूरी तो है पैर तुम तभी उसकी जवानी का मज़ा लूट पऊगे! वरना सोच लो यूँ ही तुम्हारी उमर निकल जाएगी और वो कुँवारी ही रहेगी. तो क्या आप जानते हैं ये सब बात. वह भॉंचाक्का सा बोला. हाँ! ठाकुरैईं ने मुझे सारी बात बता दी थी. अब वो नरम पद गया.


गोरी को मेरे घर आए एक दिन बीत चुका था. पीच्'ली रात तो मैने किसी तरह गुज़ार दी पैर डूस'रे दिन बढ़हवास सा हो गया और मुझे लगा की अब मुझे गोरी चाहिए वरना कहीं मैं उस'से बलात्कार ना कर बैठून.


हाँ डॉकटोर साहब. मेरे मैं कोई कमी नहीं. मैं बन सकती हूँ. तो क्या राजन मैं कुच्छ ख़राबी है हाँ डॉकटोर साहब. क्या? साहब वो. वो. उनसे होता नहीं. क्या नहीं होता राजन से. वो साहब. वो. हाँ. हाँ. बोलो गोरी. देखो मुझसे कुच्छ छ्छूपाओ मत. मैं डॉकटोर हूँ और डॉकटोर से कुच्छ छ्छुपाना नहीं चाहिए. डॉकटोर साहब. मुझे शरम आती है कहते हुए. आप पराए मर्द हैं ना. मैं उठा. कमरे का दरवाज़ा बंद करके खिड़की मैं भी चिटकनी लगा के मैने कहा, लो अब मेरे अलावा कोई सुन भी नहीं सकता. और मुझसे तो शरमाओ मत. हो सकता है तुम्हारा इलाज करने के लिए मुझे तुम्छैइन नंगा भी करना पड़े. तुम्हारी सास और पति से भी मैने कह दिया है और उन्होने कहा है की मैं कुच्छ भी करूँ पैर उनके खंडन को बच्चा दे दूं. इसलिए मुझसे मत शरमाओ. डॉकटोर साहब वो मेरे साथ कुच्छ कर नहीं पाते.

क्या? मैने अनजान बन हुए कहा. मुझे गोरी से बात कर'ने में बड़ा मज़ा आ रहा था. मैं उस आल्र गाँव की युवती को कुच्छ भी कर'ने से पह'ले पूरा खोल लेना चाह'ता था. वो. वो मेरे साथ मेरी योनी मैं दल नहीं पाते. ऊहू. यूँ कहो ना की वो मेरे साथ संभोग नहीं कर पाते. हाँ. राजन कह रहा था. की तुम्हारी योनी बहुत संकरी है तो क्या आजतक उसने ख़भी भी तुम्हारी योनी मैं नहीं घुसाया? नहीं डॉकटोर साहब. नज़र झुकाए ही वो बोली. तो क्या तुम अभी तक कुँवारी ही हो. तुम्हारी शादी को तो साल ब्भर से ज़्यादा हो चुका है हाँ साहब. वो कर ही नहीं सकते. मैं तो तड़प'टी ही रह जाती हूँ. यह कह'ते कह'ते गोरी रूवांसी हो उठी.

पैर वो तो कहता है की तुम सह नहीं पति हो. और चीखने लगती हो. चीलाने लगती हो. साहब वो तो हैर लड़की पहली बार. पैर मरद को चाहिए की वो एक ना सुने और अपना काम करता रहे. पैर ये तो कर ही नहीं सकते इनके उस्मैन ताक़त ही नहीं हैं इतनी. सूखे से तो हैं पैर वो तो कहता है की तुमको संभोग की इकचह्चा ही नहीं होती. झूठ बोलते हैं साहब. किस लड़की की इकचह्चा नहीं होती की कोई बलीष्ट मरद आए और उसे लूट ले पैर उनहइन देख कर मेरी सारी इकचह्चा ख़तम हो जाती है पैर गोरी मैने तो उसका. काम अंग देखा है ठीक ही है वो संभोग कर तो सकता है कहीं तुम्हारी योनी मैं ही तो कुच्छ समस्या नहीं.
नहीं साहब नहीं. आप उनकी बातों मैं ना आइए पहले तो हमेशा मेरे आगे पीच्े घूमते थे. की मुझसे सुंदर गाँव मैं कोई नहीं. और अब. वो सुबकने लगी आप ही बताइए डॉकटोर साहब.

मैं शादी के एक साल बाद भी कुवनरी हूँ. और फिर भी उस घर मैं सभी मुझे ताना मरते हैं अरे नहीं गोरी. मैने प्यार से उसके सर पैर हाथ फेरा. अच्छा मैं सब ठीक कर दूँगा. अच्छा चलो यहाँ बिस्तर पैर लेट जाओ. मुझे तुम्हारा चेक्क उप करना है क्या देखेंगे डॉकटोर साहब? तुम्हारे बदन का इंस्पेक्टीओं तो करना होगा. जीीई.? उपर से ही देख लीजिए ना डॉकटोर साहब. जो देखना है उपर से तो तुम बहुत ख़ूबसोरत लगती हो. एकदम काम की देवी. तुम्छैइन देख कर तो कोई भी मर्द पागल हो जय. फिर मुझे देखना ये है की आज तक तुम कुवनरी कैसे हो. चलो लेटो बिस्तर पैर और सारी उतारू. जजाजज्ज़िईइ. डॉकटोर साहब. मैं मैं मुझे शरम आती है
डॉकटोर से शरमाओगी तो इलाज कैसे होगा? वो लेट गयी मैने उसे सारी उतरने मैं मदद की. एक ख़ूबसोरत जिस्म मेरे सामने सिर्फ़ ब्लौसे और पेतिक्ॉत मैं था. लेता हुआ वो भी मेरे बिस्तर पैर मेरे लंड मैं हलचल होने लगी मैने उसका पेतिक्ॉत तोड़ा उपर को सरकाया और अपना एक हाथ उंदार डाला.

कैसा महसूस हो रहा है अच्छा लग रहा है हाँ डॉकटोर साहब. तुम्हारा पति ऐसा करता था. तुम्हारी योनी मैं इस तरह अंगुल डाल'ता था? नााअःह्छिईन्न्न. डॉक्कत्तूऊओर्र्र स्ससाहाअबबब. गोरी अब छ्त्पटाने लगी थी. उसकी आँखें लाल हो उठी थी. अगर तुम्हारे साथ संभोग करने से पहले तुम्हारा पति ऐसा करे तो तुम्छैइन आकचा लगेगा? हांणन्ं. वे तो कुच्छ जान'ते ही नहीं और सारा दोष मेरे माथे पैर ही मढ़ रहे हैं


अच्छा आओ फिर यहाँ लेट जाओ. वो आई और लेट गई. फ़िछली बार से इस बार प्रतिरोध काम था. मैने उसके पेतिक्ॉत का नडा पकड़ा और खींचना सुरू किया. पेतिक्ॉत खुल गया. उसकी कमर मुश्किल से 18-19 इंच रही होगी. और हिप्स सीज़े क़रीब. 37 इनचेस. झांघाओं पैर ख़ूब झांघाओंमानसलता थी. गोलाई और मादकटा. विशाल पुत्ते. इस सुंदर कमुक दृश्या ने मेरा स्वागत किया. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया. डॉकटोर साहब. ये क्या कर रहे हैं आप तो मुझे नंगी कर रहे हैं
अरे देख तो लूं तुमने बल ठीक से साफ़ किए भी की नहीं. और बल काटने के बाद वहाँ पैर एक क्र्ेअँ भी लगनी है अब इस'से पहले वो कुच्छ बोलती. मैने उसका पेतिक्ॉत घुटनों से नीचे तक खींच लिया था. आती सुंदर. बाला की कमुक. तुम बहुत ख़ूबसोरत हो गोरी. मैने तोड़ा साहस के साथ कह डाला. उसकी तारीफ़ ने उसके हाथों के ज़ोर को तोड़ा काम कर दिया. और उसका फ़ायदा उठाते हुए मैने पूरा पेतिक्ॉत खींच डाला और दूर कुर्सी पैर फेंक दिया. यक़ीन मानिए एसा लगा की अभी उसपर चढ़ जाओं. वो पतला सपाट पेट. छ्छोटी सी कमर पैर वो विशाल नितंब. वो तिघ्ट वेणुस मौंत. सिर्फ़ एक ब्लौसे पीएसए मैं रह गया था उसका बदन. भरपूर नज़रों से देखा मैने उसका बदन. उसने शरम के मारे अपनी आँखों पैर हाथ रख लिया और तुरंत पेट के बल हो गयी ताकि मैं उस'की छूट न देख सकूँ. शायद छूट दिखाने मैं शर्मा रही थी. ज़रा पल्टो गोरी. शरम नहीं कर'ते फिर

इधर मेरे लंड मैं भूचाल सा आ रहा था. और मेरे उंडेर्वेआर के लिए मेरे लंड को कॉंट्रोल मैं रखना मुश्किल सा हो रहा था. फिर भी मेरे तिघ्ट उंडेर्वेआर ने मेरे लंड को छ्िपा रखा था. आब मैने उसकी छूट पैर उंगलिया फिराई और पूछा. गोरी क्या राजन. टूमैन यहाँ पैर मेरा मतलब तुम्हारी योनी पैर चूंता है नहीं साहब. यहाँ छ्ही यहाँ कैसे छूमेंगे? तुम्हारे इन पुत्तों पैर मैने उसके बुमस पैर हाथ रख कर पूच्हा. नहीं डॉकटोर साहब आप कैसी बातें कर रहे हैं अब उसकी आवाज़ मैं एक नशा एक मादकाता सी आ गई थी. छुड़ने के लिए तैयार एक गरम युवती की सी. वो कहाँ कहाँ चुंता है तुम्छैइन? जी. यहाँ पैर उसने आपने चूची की तरफ़. इशारा किया. जो इस गरम होते माहौल की खुसबू से सीज़े मैं काफ़ी बड़े हो गाये थे और लगता था की जल्दी उनको बाहर नहीं निकाला तो ब्लौसे फट जाएगा. उसने कोई ब्रा भी नहीं पहनी थी.
मैं बिस्तर पैर चढ़ गया मैने दोनो हथेलियँ उसके दोनो मूम्मों पैर रखी और उनहइन कमुक आंदज़ मैं मसलना सुरू किया. वो तड़पने लगी डॉकटोररर्र. स्सााहहाब. क्या कर रहैईन है आप.

आब मैने बलात उसके मुख को पकड़ उसके हूंतो को चूसना सुरू कर दिया. इस'से पहले वो कुच्छ समझ पति उसके होंठ मेरे होंठो को जकड़ मैं थे. मेरे एक हाथ ने उसके पूरे बदन को मेरे शरीर से छिपता लिया था. और दूसरे हाथ ने ज़बरदस्ती. उसकी झांघाओं के बीच से जगह बना कर उसके गुप्ताँग मैं उंगली डाल दी थी.

आब मैं वही करूँगा जो एक जवान शक्तिसालि मरद को, एक सुंदर कमुक ख़ूबसोरत बदन वाली जवान युवती, जो बिस्तर पैर नंगी पड़ी हो, के साथ करना चाहिए. तेरा बदन वैसे भी एक साल से तड़प रहा है तेरा कौमार्या टूटने के लिए बेताब है और आज ये मर्दाना काम. मेरा काम आंग करेगा रात भर इस बिस्तर पैर मेरी उंगली जो अभी भी उसकी छूट मैं थी. ने अचानक एक जालजाला सा महसूस किया. ये उसका योनी रस था. जो योनी को संभोग के लिए तैयार होने मैं मदद करता है मेरी उंगली पूरी भीग गई थी और रस छूट के बाहर बहकर झांघाऊँ को भी भिगो रहा था. मेरी बात सुनकर उसके बदन मैं एक तड़प सी हुई छूतर उपर को उठे और उसके मूँह से एक सिसकी भारी चीख निकल पड़ी. बाद मैं तोड़ा सन्यत होकर गोरी बोली. डॉकटोर साहब. पैर इससे मैं रुसवा हो जाओंगी. मेरा मर्द मुझे घर से निकल देगा यदि उसे पता चला की मैं आप के साथ सोई थी. आप मुझे जाने दीजिए. मुझे माफ़ केजीए.

तू मुझे मरद समझती है तो मुझ पैर भरोसा रख. मैं आज तुझे भरपूर जवानी का सुख ही नहीं दूँगा. बल्कि तुझे हैर मुसीबत से बचाऊंगा. तेरा मरद तुझे और भी ख़ुशी ख़ुशी रखेगा. वो कैसे डॉकटोर साहब?
क्योंकि आज के बाद जब वो तुझ पैर चढ़ेगा वो तेरे साथ संभोग कर सकेगा. जो काम वो आजतक नहीं कर पाया तुम दोनो की शादी के बाद आब कर सकेगा. और तब तू उसके बच्चे की माँ भी बन जाएगी. पैर कैसे डॉकटोर साहब. कैसे होगा ये चमत्कार. साहब? गोरी. प्यारी. मैने उसकी फटी चोली अलग करते हुए और उसके बूब्स को मसलना सुरू करते हुई कहा. तेरी योनी का द्वार बंद है उसे आज मैं आपने प्रचंद भीषण लंड से खोल दूँगा ताकि तेरा पति फिर आपना लंड उस्मैन घुसा सके और आपना वीरया उस्मैन डाल सके जिससे तू माँ बन सकेगी. मेरे मसलने से उसके बूब्स बड़े बड़े होने लगे थे और कठोर भी. उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़. क्या लगती थी वो आपनी पूरी नग्नता मैं उन सॉलीद बूब्स पैर वो गोल छ्छोटी चुचिया भी बहुत बेचेन कर रही थी मुझे. उसका पूरा बदन आब बुरी तरह तड़प रहा था. नशीले बदन पैर पसीने की हल्की छ्छोटी बूँदें भी उभर आई थी. मेरा लंड बहुत ही तूफ़ानी हो रहा था और आब उसके आज़ाद होने का वक़्त आ गया था.

डॉकटोर साहब मुझे बहुत दर लग रहा है मेरी इज़्ज़त से मत खेलिए ना. जाने दीजिए. मेरा बदन. उईइमाा. मुझ पैर यक़ीन करो गोरी. ये एक मरद का वादा है तुझसे. मैं सब देख लूंगा. तेरा बदन तड़प रहा है गोरी. एक मरद के लिए तेरी छूट का बहता पानी. तेरे कसते होइ बूब्स साफ़ कह रहे हैं की आब तुझे संभोग चाहिए. साहब. हाँ. गोरी मेरी रानी. बोल. मैं माँ बनूँगी ना. हाँ. मेरा मरद मुझे आपने साथ रख लेगा ना. मुझे मरेगा तो नहीं ना. हाँ. गोरी. तू बिल्कुल चिंता ना कर.. तो साहब फिर आपनी फ़ीस ले लो आज रात. मेरी जवानी आपकी है ओह. मेरी गोरी. आ. जाअ. और हम दोनो फिर लिपट गाये मेरा लंड विशाल हो उठा. डॉकटोर साहब बहुत प्यासी हूँ. आज तक किसी मर्द ने नहीं सीनचा मुझे. मेरे टन बदन की आग बुझा दो साहब..
तो फिर आ मेरी झांघाऊँ पैर रख दे अपने छूत्टर और लिप्त जा मेरे बदन से. थोड़ी देर बाद मेरे हाथ मेरी कमीज़ के बटनो से खेल रहे थे. कमीज़ उतरी. फिर मेरी पंत. गोरी की नज़र मेरे बदन को घूर रही थी. मेरा उंडेर्वेआर इससे पहले फट जाता मैने उसे उतर डाला. और फिर ज्यों ही मैं सीधा हुआ. मेरे लंड ने आपनी पूरी ख़ूबसोराती से अपने शिकार को पूरा तनकर उठाकर सलाम किया. आपने पूरी लंबाई और बड़े टमाटेर जीतने लाल हेअड़ के साथ गोरी बड़े ज़ोर से चीखी. और बिस्तर से उठकर नंगी ही दरवाज़े की तरफ़ भागी.

यही तो मरद की संभोग कला कौशूल होता है मेरी रानी. छूट खोलना और उसे ढंग से छोड़ना. हैर मरद के बस की बात नहीं. वो भी तेरी छूट जैसी. कुँवारी. क़रारी. तू दर मत सुरू मैं तोड़ा सह लेना बस फिर देखना तू छुड़वते छुड़वते तक जाएगी पैर तेरा मान नहीं भरेगा. चल अब आ जा मेरी जान. अब और सहा नहीं जा रहा. मेरे लंड से खेलो मेरी राअनीए. कह कर मैने उसे उठा लिया बाहों मैं और बिस्तर पैर लिटा दिया. उसकी छूट ही नहीं बल्कि घुटनों तक झांघा भी भीग चुकी थी. बूब्स एकदम सॉलीद और बड़े बड़े हो गाये थे. साँस के साथ उपर नीचे. साँस ज़ोर ज़ोर से चल रही थी.

मैं बिस्तर पैर चढ़ा और उसके पाएत पैर बैठ गया. उन्नत उठे बूब्स के बीच मैं मैने आपने लंबे खड़े लंड तो बिता दिया और दोनो बूब्स हथेली से दबा दिए मेरा लंड बूब्स के बीच मैं फंस गया. उंगलियों से बूब्स के निपपले रग़दते हुए मैं बूब्स को मसलने लगा और लंड से उसके सनकरे क्लेवागे को फुक्क़ करने लगा. उप स्टरोके मैं लंड का लाल हेअड़ नंगा होकर उसके लिप्स से तौछ करता और डॉवन स्टरोके मैं वल्ले की छुड़ाई. उटेजना मैं आकर गोरी ने ज्यों ही चिल्लाने के लिए लिप्स खोले ही थे की मेरे लंड का हेअड़ उस्मैन जाकर अटक गया और वो गो. गो. गू. गूओ. की आवाज़ करने लगी
मैने और ज़ोर लगाया उपर को तो लगभग आगे से 2 -3 इंच लंड उसके मुँह मैं घुस गया. थोड़ी देर की कशमकश के बाद मोटिओं सेट हो गया. और मैं मोटिओं स्वर्ग मैं था. लंड ने स्पीड पकड़ ली थी. गोरी के मुँह भी हेअड़ को मस्त चुस रहा था. और शाफ़्ट उंदार तक जा कर उसके गले तक हित कर रही थी. बूओब्स बड़े विशाल हो गाये थे. आब मैं हल्का सा उठ कर आगे को सरका और गोरी के बूब्स पैर बैठ गया.

और मैने जितना पोससीब्ले था लंड उसके मुँह मैं घुसा दिया. मेरी झांघाओं के बीच कसा उसका पूरा बदन मोटिओं बिना पानी की मच्लई की तरह तड़प रहा था.
थोड़ी देर के बाद मैने लंड को निकाला और आब गोरी ने मेरे दोनो एग्गस बराबर टेस्टीकलेस को चटना सुरू किया. बीच मई वो पूरे एक फूट लंबे लंड पैर आपनी जीभ फिरती तो कभी सूपदे को छत लेती. थोड़ी देर के बाद मैने 69 की पॉसीटिओं ले ली तो उसे मेरे काम आंगो और आस पास के अरेआ की पूरी अक्सेस्स मिल गई अब वो मेरे छूत्टर भी चटने लगी मैने भी गांड का छ्छेद उसके मुँह पैर रख दिया. उसने बड़े प्यार से मेरे छूत्टर को हाथों मैं लिया और मेरी गांड के छ्छेद पैर जीभ से चटा. इस बीच मैने भी उसकी छूट को आपनी जीभ से चटा और छोड़ा. पैर वाक़ई उसकी छूट बड़ी कसी थी जीभ तक भी नहीं घुस पा रही थी

उस मैं एक बार तो मुझे भी लगा की कहीं वो मार ना जाई मेरा लंड घुस्वते समाया. फिर मैने उसे पलटा कर के उसके बड़े बड़े गोल गोल छूत्टर भी चुसे और छाटे. आब गोरी बड़े ज़ोर ज़ोर से सिसकरी भर रही थी और बीच बीच मैं चिल्ला भी उठति थी. वो मेरे लंड को दोनो हाथों से पकड़े हुए थी और आब काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी. डॉकटोर साहब. छोड़ दो मुझे. चढ़ जाओ मेरे उपर. घुसा दो डॉकटोर साहब. दया करो मेरे उपर. नहीं तो मैं मार जाऊंगी. चाहे मैं मार ही जाओं पैर अपना ये मोटा सा लोहे का रोड मेरे उंदार डाल दो. देखो साहब मेरी कैसी लाल हो गई है गरम होकर. इसकी आग ठंडी कर दो साहब आपने हतोड़े से. वह क्या मर्दाना मस्त लंड है डॉकटोर साहब आपका. कोई भी लड़की देखते ही मतवाली हो जै और अपने कपड़े खोलकर आपके बिस्तर पैर लेट जै आओ साहब आ जाओ घुसा दो. उुुफ़्फ़्फ़्फ़्फ़.
मेरा लंड भी आब कमउक्ता की सारी हदें पैर कर चुका था. मैं उसकी टांगों के बीच मैं बैठा और उसकी टांगों को हवा मैं व शापे की तरह पूरी खोल कर उठाया और फिर उसकी कमर पकड़ उसकी छूट पैर अपने लौड़े को रखा और आहिस्ता से पैर ज़रा कस कर दबाया. छूट इतनी लुबरिकाटेड थी की लंड का हेअड़ तो घुस ही गया. आह.



डॉकटोर साहब मुझे छ्छोड़ दो. मैं नहीं सह पाऊँगी आपका लंड. मैने उसके हूंतों पैर अपने हूनत रखे और एक ज़बरदस्त क़िसस दिया जिस्मैईन उसके कठोर बूब्स बुरी तरह कुचल गाये थे. उसकी लंबी बहूं ने एक बार फिर मुझे लपेट लिया और उसकी तँगन भी मेरी टांगों से लिपट रही थी. जैसे ठीक से छुड़ने के लिए पॉसीटिओं ले रही हो. थोड़ी देर मैं जब मुझे लगा की वो दर्द भूल गई है तो अचानक मैने लंड को तोड़ा सा बाहर निकलते हुए एक भरपूर शॉट मारा. लंड का ये प्रहार इतना शक्तिसालि था की वो पस्त हो गई. एक और चीख के साथ एक हल्की सी आवाज़ के साथ उसका कौमार्या आज फट गया था, शादी के एक साल बाद वो भी एक दूसरे मरद से और इस प्रहार से उसका ओर्गास्म भी हो गया. उस'की छूट से रस धार बह निक'ली और बूरी तरह हांफ़ रही थी.

अब गोरी की छूट पूरी लासिली थी और मैं अभी तक नहीं झारा था. मैने ज़ोर डार धाक्कों के साथ उसे छोड़'ना शुरू किया. उस'की तिघ्ट छूट की दीवारों से रग़ाद ख़ाके मेरा लंड छ्हीला जा रहा था.



आज रात गोरी ख़ुद उतावाली थी की कब रात हो. उसे भी पता था की कल उसे वापस हवेली चले जाना है और आज की रात ही बची है सच्चा मज़ा लूटने का. उसने आज मोटिओं मैने चाहा वैसे कर'ने दिया. एक दूसरे के अंगों को हम दोनों ख़ूब चूसे, प्यार किए सहलाए और जी भर के देखे. फिर मैने गोरी को तरह तरह से काई पोसे में छोड़ा. साथ में आने वाले दिनों में उसे अपने ससुराल में कैसे रह'ना है और क्या कर'ना है सब सम'झा दिया. दूसरे दिन राजन भी शहर से आ गया. मैने उसे समझा दिया की गोरी का ओपेरातिओं हो गया है डॉकटोर साहब गोरी अब मा बनेगी ना? हाँ पैर तुम जल्द बाज़ी मत कर'ना. अभी एक महीने तो गोरी


दो महीने बाद गोरी के ग़रभ तहर गया. मैने गोरी को समझा दिया की वह राजन से अब छुड़वाए. उसकी छूट को तो मेरे 10" के लंड ने पहले ही भोस'दा बना दिया था जहाँ अब राजन का लंड आराम से चला जाता. राजन भी बहुत ख़ुश था की डॉकटोर साहब के कारण ही अब वह अपनी बीवी को छोड़ पा रहा है गोरी पह'ले ही मेरी दीवानी बन चुकी थी. ठाकुरैईं को जब पता चला की गोरी के पान'व भारी हो गाये हैं तो उस'ने क्लिनिक में आ मेरा शुक्रिया अदा किया. में तो ख़ुश था ही और अब किसी दूसरी गोरी की उम्मेद में आप'ना क्लिनिक चला रहा हूँ.

Meri bahan 18 saal ki
By: Ajit
Baat un dino ki hai jab main 19 saal ka hua karta tha aur meri bahan 18 saal ki aur us age me bhi main kaafi hosiyaar tha choot aur land ke baare me kai ladkiyaan mere land...tale gujar chuki thi ek din subaah subaah main collage jaane ko taiyaar ho raha tha aur main jaise hi main apni choti bahan ke room me tai lene gaya tab dekha ki wo top pahan rahi thi aur neeche pink colour



Panty bahut khoobsurat lag rahi thi aur fir bartan dhone ki wajha se uski frock bhi bheeg chuki thi jiske neechey wo kuch bhi nahi phne thi jisse uski choti...choti neemboo ki taraah ubhaar waali choochi saaf nazar aa rahi thi aur uske nippals bhi ubhre hue the tab hi bartan dhone ke baad wo nahaane chali gayi apne ghar me bathroom ke saath hi toilet attach tha so main bhi


pahan sakti bhai plzz zara si der aur ruko tab main ruk gaya aur fir 2 min baad zor se chillaya arre yaaaaaaaaaar jaldi se darwaaza kholo nahi to room ganda ho jaayega aur fir reena ne dar kar darwaaza khol diya usko dekhte hi mere land me tanaaw aa gaya wo poori taraah se bheegi hui thi aur uske badan par abhi bhi saabun laga hua tha wo mujhe apni taraf dekhte hue kuch sakpaka gayi aur fir boli bhaiyya aapko ab bathyroom nahi karni jaldi se kijiye taaki main naha sakoon tab maine kaha haan haan aur maine apna pajaama to bahar phle hi utaar diya tha is waqt sirf franchy phne tha aur mera land bahan ko nanga dekh kar tan



ab bhi sarma rahi thi choochi par bahut dheere dheere sabun mal raha tha aur fir sabun ek taraf rakh kar uski choochi ko khoob masalne laga aur kaha ki yahaan bahut gandagi rhti hai isko kas kas kar mala karo aur uske nippals jo chote se angoor ki taraah the unko ungli ke beech me le kar masalne laga itna sab hone ke baad koi bhi ladki ho wo garma to jaayegi hi aur yahi haal reena ka bhi hua ab wo dheere dheere sisakne lagi thi main samajh gaya tha ab ise masti aane lagi hai tab hi maine uske chutad par haath rakha aur ragadne laga bahut der tak ragadne ke baad ab wo aahh karne lagi tab maine kaha kya hua reena tu karaah kyoon rahi hai tab usne kaha pata nahi bhai kya ho raha hai ek azeeb si gudgudi ho rahi hai saare badan me badan par paani pada hai fir bhi lag raha hai jaise main jali ja rahi hoon tab maine kaha achha ab tu bhi mujhe nhla aur ye khkar maine use sabun pakda diya aur fir usne saare badan par saabun lagaaya uske naram....naram haaton se

Saabun lagwaane me mujhe bahut maza aa raha tha ji kar raha tha abhi isi waqt bathroom me patak kar chod daaloon par main jaldbaazi me kaam kharaab nahi karna caahta tha kyoon ki wo line par to aa hi rahi thi aur fir maine usko apna land pakda diya jo ekdum kisi dande ki taraah akad raha tha wo haath me lene se jhijhak rahi thi par maine kaha dekho maine tumko nhlaaya hai ab tum bhi mujhe nhlaao aur fir wo dheere dheere mere land par



Andar gaya tha aur reena itni jor se cheekhi thi ki agar papa mummy ghar pe hote to sartiyaa us din meri gaand fat jaati aur maine turant uske hoth apne hoth me le liye aur choochi ko dabaate hue ek dhakka aur maara aur fir se 2"land aur andar gaya ab to wo aaaahhh mar gayi aaaaahh mummybachaaoo bhaiyaaa pls chod dijiye mujhe aaahhh mar jaaungi main bahut dard kar raha hai aaaahhh aur tab hi maine ek dhakka aur maara aur uski bur ki jhilli ko faadta hua mera land uski aakhiri kinaare tak chala gaya ab to uski bur se khoon ki boondey girne lagi aur jab usne dekha to chillane lagi haaayyy bhaiyaa ye kya hua meri choot faad daali aapne ab kya hoga? Jaldi se dr ke paas lekar chaliye tabhi


Abbu and his three friends raped
From: ajit

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I said - or अळ. Huh! You go away!
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